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(as of Sep 17, 2024 10:05:45 UTC – Details)
किसी विशेष जनसमुदाय द्वारा गाये जाने वाले गीत को ही लोकगीत कहते हैं। ये समुदाय की धरोहर होती है। लोक गीतों के माध्यम से देश की संस्कृति एक नई जान मिलती हैं । त्योहारों एवं उत्सवों के साथ लोकगीतों का अटूट संबंध है। राजस्थान में गाए जाने वाले गीतों के अनुपात में लोकगीतों का दायरा अधिक बड़ा है लोक गीत राजस्थानी संस्कृति के अभिन्न अंग है प्राचीन काल से ही राजस्थानी लोक संगीत प्रेमी है। रविन्द्र नाथ टैगोर ने लोक गीतों को संस्कृति का सुखद संदेश ले जाने वाली कला कहा है। महात्मा गाँधी के शब्दों में – लोकगीत जनता की भाषा है। लोक गीत हमारी संस्कृति के पहरेदार है। देवेन्द सत्यार्थी के अनुसार’ लोकगीत किसी सस्कृति के मुँह बोले चित्र है। लोकगीत सरल तथा साधारण वाक्यों से ओत-प्रोत होते है और इसमें लय को ताल से अधिक महत्व दिया गया है Rajasthan ke Lok Geet में मुख्यत. तीन वस्तुओं का समायोजन होता है, ये निम्न है गीत (शब्द योजना), धुन (स्वर योजना), वाद्य (स्वर तथा लय योजना)।
Publisher : Rajasthani Granthagar (1 January 2021)
Paperback : 250 pages
ISBN-10 : 9391446329
ISBN-13 : 978-9391446321
Reading age : 10 years and up
Country of Origin : India