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(as of Aug 30, 2024 11:58:53 UTC – Details)
अेक आच्छी अर असरदार कहाणी आपरै सिरजण अर संवेदण में जीवण रै जोड़ाजोड़ अर उणरै ओळै-दोळै समानान्तर चालण वाळी कला स्रिस्टी हुया करै। भौतिक स्रिस्टी दांई उणमें भी जळ, पून, अगन, धरती अर आकास रा पांचू तत्व हुवै। जद तांई किणी रचना में अनुभव रै आभै रो विस्तार, नुंवी उपज री खिमता वाळी धरती री गैराई, भावां रै बायरै री ताजगी, जळ री निरमल धारा ज्यूं लगोलग बहाव वाळी अरथाऊ अर औपती भासा री मंगत अर तणाव री आग री मांयली झाळ नीं हुवै, वा पाठकां ने दाय नीं आवै। जिका पाठक ऊजळी दीठ रा हेवा हुवै, वै बोदी, घिसीपिटी अर लीक-लीक चालण वाळी अभिधात्मक कहाणी नैं कियां पसंद करै। पारखी अर गंभीर पाठक खनै आच्छी कहाणिया री पिछाण अर कूंत रा पैमाना हुवै। धान री बोरी में परखी लगायां, जियां धान री, आंगळी डबोयर चाखियां घी री, घिसियां सूं चनण अर मैधीं री छिब सूं मोती री अर लखणा सूं मिनख री पिछाण हुवै, उणी तरै कहाणी रै सिरजण, संवेदण अर अंतरदीठ री भी पिछाण हुय सकै। मनोज स्वामी जिसै सिमरथ अर स्तरीय कथाकार सूं पाठक जे आधुनिक भाव बोध अर काळ बोध रै बारीक अर सलीकैदार सोच वाळी, जिग्यासा जगावण वाळी नुवां नुवां सवाल ऊभा करण वाळी अर मनगत रै भावां री परदरसी पिछाण वाळी रूड़ी अर रंजक कहाणियां री आस करै तो वा आस गैरवाजब कोनी। इण पोथी रो पेलो पाठक हुवण रै नातै अर सगळी… कहाणिया पढ़ण रै पछै म्हैं कैय सकूं कै, मनोज स्वामी री अै कहाणियां रचना रै स्तर माथै अेकदम खरी उतरै। आज रै आछै कहाणीकारां री पंगत में ऊभो हुंवती बेळा लेखक कद-काठी में वां रै मुकाबलै ओछो नीं लागै। वो साइनां रै बरोबर तो लागैला ईÓज कठैई-कठैई कीं डीगाई वाळो भी सिद्ध हुय सकै। हकदार है। म्हानै लागै कै। ओ संग्रै राजस्थानी कहाणिया रो हरावळ सिद्ध हुवैला। -भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’
ASIN : B07P9R5HPN
Publisher : Bodhi Prakashan; First Edition (31 January 2019)
Language : Rajasthani
Paperback : 88 pages
Dimensions : 21.08 x 13.97 x 0.89 cm
Country of Origin : India