Bharkhama भरखमा (Rajasthani Stories) (Hindi Edition)

Bharkhama भरखमा (Rajasthani Stories) (Hindi Edition)

Bharkhama भरखमा (Rajasthani Stories) (Hindi Edition)
Price: ₹49.00
(as of Sep 08, 2024 09:30:59 UTC – Details)




साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार प्राप्त लेखक डॉ जितेंद्र कुमार सोनी की राजस्थानी भाषा में रचित तीन लम्बी कहानियों का संग्रह है भरखमा!
प्रसिद्ध कवि और व्यंग्यकार सम्पत सरल के शब्दों में – भरखमा कहानी संग्रह कथ्य और शिल्प दोनों ही दृष्टि से श्रेष्ठ है। ठेठ राजस्थानी मुहावरे में आधुनिक भावबोध से युक्त।
प्रसिद्ध लेखक विनोद स्वामी ने अपनी समीक्षा में लिखा था –
राजस्थानी कहाणी नै नवी जमीन सूंपतो संग्रै : भरखमा
कोई पाठक कहाणी बांचती बरियां जे कहाणी री दुनिया मांय बैवतो जावै, आंख्यां साम्हीं अेक रील-सी चालबो करै अर पछै बो उण दरसावां मांय लांबै बगत तांई खोयो रैवै, सालां पछै बा पोथी साम्हीं पड़ी दिखै, कोई उणरो नाम लेवै का पछै उण सारू बात करै तो फेरूं बां री छिब मंड ज्यावै, जियां सासरै सूं सालां पछै पी’र बावड़ी छोरी रै मन मांय मांय अतीत रा चितराम मंडबो करै, तो समझो बा कहाणी लांठी होवै।
डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी रै कहाणी संग्रै ‘भरखमा’ री घणी सारी खासियतां रामस्वरूप किसान गिणाई है। बां री आ बात साव साची है कै राजस्थानी रै आधुनिक कहाणी खेतर मांय लांबी अर महानगरीय परिवेस री कहाणियां पैली बार आई है। म्हैं इण मांय आ बात जोड़ूं कै राजस्थानी कहाणी पैली बार राजस्थान री सींव तोड़’र बारै रै परिवेस री कथावां कैवती लखावै। इण संग्रै मांय राजस्थान रो कथ्य ई नईं है। अेक पच्छमी बंगाल री भोम सूं, दूजी मध्यप्रदेश अर तीजी हिमाचल री धरती सूं उपजी है।
महानगरां री आधुनिक जीवण सैली में बरतीजता अर कई तकनीकी सबद जिकां रो उल्थो नीं हो सकै, वै नवी पीढी रा पाठक अर लिखारां सारू साव नवादी चीज है। अै सबद ई कंठी में मोती-सा पोयोड़ा लखावै। बांचती वेळा पाठक नै जाबक ई अबखा नीं लागै। मांडणा मांडती-सी, बैवती-सी भासा में कहाणियां रा दरसाव इयां लखावै जियां कोई चालती गाडी सूं स्हैर रो मिनख खेत अर जंगळ देख राजी होवै अर गांव-ढाणी रो मिनख स्हैर री रचळ-पचळ देख आणंद उठावै। हियै मांय उतरती, चित्त नै बांधती भासा में ठेठ लोक रा कई सबद, मुहावरा अर कहावतां बीच-बीच मांय जीवसोरो कर नाखै। संग्रै री तीनूं कहाणियां में मानवीय प्रेम, करूणा अर बात माथै कायम रैयनै जीवण रो जुद्ध जीतण री बात है। प्रेम आं रै मूळ मांय रैयो है। सनेसो ओ ई जावै कै प्रेम बिना जीवण अर जग सूनो है। राजस्थानी मांय प्रेम रो पर्याय प्रीत है। प्रेम होवै अर प्रीत पाळीजै है। प्रीत रा अै संदेस मिनख रै घमंड, गळतफैमी अर दुनिया री करतूतां नै भूंडता थकां अेक व्हाली दुनिया बणावता निगै आवै। संग्रै री सरूआत में कहाणियां सूं पैली ढोला-मारू रै अेक दूहै सूं बात सरू करीजी है। ओ दूहो प्रेम रूपी देव नै मनावण सारू कथीज्यो मंगळाचार-सो लखावै। दूहो है-
धरती जेहा भरखमा, नमणा जेहि केळि।
मज्जीठां जिम रच्चणां, दई, सु सज्जण मेळि।।
मतलब जिका धरती-सा सहणसील, केळी-सा नमणसील अर मजीठै-सा राचणा है, हे विधाता, अैड़ै प्रेमियां रो मेळ कराई। ओ संग्रै अैड़ै ई प्रेमियां री कथा कैवै।

ASIN ‏ : ‎ B09XJ6TGHR
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 340 KB
Simultaneous device usage ‏ : ‎ Unlimited
Text-to-Speech ‏ : ‎ Enabled
Screen Reader ‏ : ‎ Supported
Enhanced typesetting ‏ : ‎ Enabled
Word Wise ‏ : ‎ Not Enabled
Print length ‏ : ‎ 81 pages

Author: ram kumar

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