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डूंगरपुर राज्य की स्थापना 13वीं शताब्दी में राजा डूँगरीया भील ने की थी। रावल वीर सिंह नेे भील प्रमुख डूँगरीया को हराया, जिनके नाम पर इस जगह का नाम ‘डूंगरपुर’ पड़ा था। 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे अपने अधिकार में ले लिया। यह जगह डूंगरपुर प्रिंसली स्टेट की राजधानी थी। राजस्थान के डूंगरपुर, बाँसवाड़ा और उदयपुर का मिला जुला क्षेत्र ‘वागड़’ कहलाता है। वागड़ प्रदेश अपने उत्सव प्रेम के लिए जाना जाता है। यहाँ की मूल बोली ‘वागड़ी’ है, जिस पर गुजराती भाषा का प्रभाव दिखाई देता है। वागड़ प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी भील आदिवासियों की है। वागड़ क्षेत्र में लबाना समाज के लोग भी बड़ी संख्या में निवास करते है यह समाज लव वंशज कहलाती है। यह समाज भी राजनीति और शानो-शौकत के लिए मानी जाती है। राजाओं के राज में भी इस समाज को सम्मान के रूप में नायक की पदवी से सम्मानित किया गया था एवं राजा अपनी गाड़ी लेकर इनके इलाकों का जायजा लिया करते थे। वहां पर कलाल समाज के भी लोग रहते है। यह इलाका पहाड़ों से घिरा हुआ है। इन्हीं के तो बीच इन आदिवासियों का घेरा है। प्रस्तुत पुस्तक डूंगरपुर इतिहास के कई पहलुओं को सुव्यवस्थित रूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करती है। साथ ही यह पुस्तक शोधार्थियों के लिए मुख्य शोध का केन्द्र साबित होगी।
Publisher : Rajasthani Granthagar (1 January 2022); RAJASTHANI GRANTHAGAR, JODHPUR
Hardcover : 250 pages
ISBN-10 : 9391446140
ISBN-13 : 978-9391446147
Reading age : 10 years and up
Item Weight : 426 g
Country of Origin : India
Packer : RAJASTHANI GRANTHAGAR, JODHPUR