Price: ₹300 - ₹219.00
(as of Mar 02, 2025 12:09:30 UTC – Details)
“यह जनक और अष्टावक्र के बीच जो चर्चा है, यह अद्भुत संवाद है। अष्टावक्र ने कुछ बहुमूल्य बातें कहीं। जनक उन्हीं बातों की प्रतिध्वनि करते हैं। जनक कहते हैं कि ठीक कहा, बिलकुल ठीक कहा; ऐसा ही मैं अनुभव कर रहा हूं; मैं अपने अनुभव की अभिव्यक्ति देता हूं। इसमें कुछ प्रश्नोत्तर नहीं है। एक ही बात को गुरु और शिष्य दोनों कह रहे हैं। एक ही बात को अपने-अपने ढंग से दोनों ने गुनगुनाया है। दोनों के बीच एक गहरा संवाद है। यह संवाद है, यह विवाद नहीं है। कृष्ण और अर्जुन के बीच विवाद है। अर्जुन को संदेह है। वह नई-नई शंकाएं उठाता है। चाहे प्रगट रूप से कहता भी न हो कि तुम गलत कह रहे हो, लेकिन अप्रगट रूप से कहे चला जाता है कि अभी मेरा संशय नहीं मिटा। वह एक ही बात है। वह कहने का सज्जनोचित ढंग है कि अभी मेरा संशय नहीं मिटा, अभी मेरी शंका जिंदा है; तुमने जो कहा वह जंचा नहीं।”
From the Publisher
Add to Cart
Add to Cart
Add to Cart
Add to Cart
Add to Cart
Customer Reviews
4.6 out of 5 stars 91
4.5 out of 5 stars 1,221
—
4.5 out of 5 stars 620
4.5 out of 5 stars 578
1.0 out of 5 stars 1
Price
₹214.00₹214.00 ₹285.00₹285.00
— ₹235.00₹235.00 ₹143.00₹143.00 ₹242.00₹242.00
Title Name
Kahai Kabir Diwana Sambhog Se Samadhi Ki Aur (सम्भोग से समाधि की ओर) Ek Omkar Satnam : (एक ओंकार सतनाम ) Main Mirtyu Sikhata Hoon (मैं मृत्यु सिखाता हूं) Dhyan-Sutra (ध्यान-सूत्र) Ajahu Chet Ganwar : (अजहुँ चेत गवार)
Publisher : Diamond Books (1 January 2020); Diamond Books X-30, OKHLA INDUSTRIAL AREA, PHASE-2, NEW DELHI-110020 Phone No. 01140712209
Language : Hindi
Paperback : 328 pages
ISBN-10 : 8189605798
ISBN-13 : 978-8189605797
Item Weight : 390 g
Dimensions : 21.59 x 13.97 x 1.75 cm
Country of Origin : India
Net Quantity : 1 count
Packer : Diamond Books X-30, OKHLA INDUSTRIAL AREA, PHASE-2, NEW DELHI-110020 Phone No. 01140712209
Generic Name : Ashtavakra Mahageeta Bhag-III Jo Hai So Hai (अष्टावक्र महागीता भाग- 3 जो है सो है) [Paperback] Osho