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(as of Jun 14, 2025 10:30:46 UTC – Details)
“प्रतिशोध।” जैसा कि नाम से ही जाहिर है, ये उपन्यास बदले की आग में जल रही एक औरत की कहानी है।
अक्सर देखा गया है कि हमारी कहानियों में नायक या नायिका अपने ऊपर हुए जुल्म का प्रतिशोध लेने के लिए कोई भी हद पार कर लेते हैं और पढ़ने वालों का भरपूर समर्थन उन के हर गैरकानूनी काम के साथ रहता है।
मगर ये कहानी ऐसी नहीं है। इस कहानी का नायक या नायिका का मकसद प्रतिशोध लेना नहीं है, बल्कि हमारी कहानी का नायक मुकेश भार्गव, एक प्राइवेट इन्वेस्टिगेटर एक अपराधी के सीने में धधक रही प्रतिशोध की आग का शिकार होता है और यही बात मेरे इस उपन्यास को प्रतिशोध की कहानी पर आधारित अन्य उपन्यासों की भीड़ से अलग करती है।
एक साल पहले मुकेश भार्गव अपने दोस्त पुलिस इंस्पेक्टर बलवंत के साथ मिल कर एक दरिंदे की निर्मम हत्या कर देता है। ये राज दोनों के दिल में दफ़न हो जाता है, मगर तभी अचानक “दिलरुबा” नाम की महिला उसी दरिंदे की मौत का प्रतिशोध लेने के लिए मुकेश भार्गव के पीछे पड़ जाती है।
मुकेश से प्रतिशोध लेने के लिए “दिलरुबा” एक के बाद एक निर्दोष लोगों की हत्या करनी शुरू कर देती है। प्रतिशोध की आग में जलती हुई “दिलरुबा” मुकेश की बहन अंकिता का अपहरण कर लेती है।
अब मुकेश के सामने सब से बड़ी चुनौती अपने राज को राज बनाये रखना और पुलिस द्वारा गिरफ़्तारी से बचते हुए “दिलरुबा” को पहचान कर उस तक पहुंच कर उस के खात्मे के साथ अपनी बहन को बचाना है।
प्रतिशोध की ज्वाला में जलती हुई “दिलरुबा” के साथ मुकेश भार्गव का चूहे बिल्ली वाला खेल शुरू हो जाता है जो पाठकों को उपन्यास के अंत तक बांधे रखता है।
इस दिलचस्प कहानी के कुछ किरदार पाठकों को लम्बे समय तक याद रहने वाले है।
हत्याओं के जाल में उलझी ‘प्रतिशोध” की कहानी की तेज रफ़्तार तथा कहानी में तेजी से बदलते घटनाक्रम आप को बेहद पसंद आने वाले हैं तथा मुझे इस बात का पूरा भरोसा है।
ASIN : B0FBM9W9KR
Language : Hindi
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Word Wise : Not Enabled
Print length : 207 pages